उत्तरप्रदेश के लखनपुर जनपद में वर्ष परंपरा अंतर्गत श्रीमदभगवात श्री राम कथा एवं समस्त पुराण उपनिषदादी को समर्पित एक ब्राह्मण परिवार में महाराज श्री का जन्म हुआ | बाल्यकालीन जीवन में ही धर्म आदि संस्कार एवं आध्यात्मिक चिंतन पूज्य श्री का सहज जीवन बन गया | 8 वर्ष की अवस्था में ही रामचरित मानस, गीता इत्यादि पर स्वाध्याय एवं पैतृक एवं धार्मिक दिशा निर्देश प्राप्त होने लगा। कालांतर में वही बीज एक विशाल वट वृक्ष के रूप में परिवर्तित हुआ | श्री श्री 1008 श्री रामनन्दाचार्य जगतगुरू रामभद्राचार्य चित्रकूट से गुरुदीक्षा लेकर सनातन धर्म का आधार लेकर इस जगत कल्याण के लिए संकल्पबद्ध होकर अपने जीवन को समर्पित कर दिया पूज्य श्री के जीवन में "सेवा धर्मो परम गहनः योगिनामप्यगम्य" का सिद्धान्त एक विशिष्ट स्वप्न के समान उन्हें सेवा धर्म के लिए प्रेरित करता रहता है। पूज्य श्री असहाय, दीनों एवं रोगियों के सेवार्थ निरन्तर प्रयत्नशील रहते थे। इसी स्वप्न को साकार करने के उद्देश्य से महाराज जी ने नर नारायण सेवा संस्थान का निर्माण किया एवं समस्त जनमानस की सेवा में तन-मन-धन से अपने जीवन को समर्पित किया। पूज्य श्री अबतक लगभग 150 श्रीमद भागवत कथा सत्र एवं 21 राम कथा तथा अनेक बार शिवपुराण, देवीपुराण, मार्केण्डेय पुराण तथा विष्णुपुराण आदि का वाचन वृहत रूप में हो चुका है जिससे प्राप्त धन एवं जनमानस के द्वारा दान निस्वार्थ भाव असे अभावग्रस्त क्षेत्रों में एवं विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं में सिविर लगाकर अन्न क्षेत्र चलाकर किया जाता है।